"भारत में कला का महत्व: सराहना क्यों कम और उपेक्षा क्यों अधिक?"

"भारत में कला का महत्व: सराहना क्यों कम और उपेक्षा क्यों अधिक?"

भूमिका



भारत, जो अपनी समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक कलाकृतियों, और पारंपरिक कलाओं के लिए प्रसिद्ध है, वहां आज भी कला को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना दिया जाना चाहिए। कला किसी भी समाज की आत्मा होती है, लेकिन हमारे देश में इसे करियर या जीवनयापन का मुख्य साधन मानने से लोग कतराते हैं।

भारत में कला का महत्व

भारत प्राचीन समय से ही कला, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, चित्रकला और साहित्य का केंद्र रहा है। अजंता-एलोरा की गुफाएं, खजुराहो के मंदिर, तंजावुर की चित्रकला, वाराणसी की हस्तकला, और मधुबनी पेंटिंग्स इसका प्रमाण हैं। भारतीय संगीत, नृत्य और फिल्म इंडस्ट्री ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है।

भारत में कला को कम महत्व क्यों दिया जाता है?

1. करियर का असुरक्षित भविष्य

भारत में माता-पिता और समाज अक्सर कला को करियर के रूप में सुरक्षित नहीं मानते। वे बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, या सरकारी नौकरी की तरफ धकेलते हैं।

2. शिक्षा प्रणाली में कमी

भारतीय शिक्षा प्रणाली विज्ञान और गणित पर अधिक केंद्रित है, जबकि कला विषयों को सिर्फ एक सहायक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। स्कूल और कॉलेज में कला और कलाकारों को प्रोत्साहन की कमी है।

3. आर्थिक अस्थिरता

कई कलाकारों को संघर्ष करना पड़ता है क्योंकि उन्हें कला से पर्याप्त आमदनी नहीं होती। सरकारी योजनाओं की कमी और प्राइवेट सेक्टर में भी कला को उतना महत्व नहीं दिया जाता, जिससे कलाकारों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

4. टेक्नोलॉजी और ग्लोबलाइजेशन का प्रभाव

डिजिटल माध्यमों के आने से पारंपरिक कला रूप धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। लोग अब हस्तनिर्मित चीज़ों की जगह मशीनों से बनी वस्तुओं को अधिक पसंद करने लगे हैं।

भारत में कला को बढ़ावा देने के तरीके

  1. शिक्षा प्रणाली में सुधार: कला को मुख्य विषयों में शामिल करना और इसे करियर के रूप में प्रोत्साहित करना।
  2. सरकारी सहायता: कलाकारों को आर्थिक सहायता और मंच प्रदान करना।
  3. सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों का उपयोग: कलाकारों को अपनी कला दिखाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का लाभ उठाना चाहिए।
  4. समाज की मानसिकता बदलना: कला को भी अन्य करियर विकल्पों की तरह समान रूप से महत्वपूर्ण समझना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत में कला की समृद्ध परंपरा होने के बावजूद इसे उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना मिलना चाहिए। यदि सही प्रयास किए जाएं, तो भारत की कला और कलाकार विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं। अब समय आ गया है कि हम कला को केवल एक शौक न मानकर, इसे एक करियर और समाज के लिए आवश्यक पहलू के रूप में देखें।

"कला केवल सुंदरता नहीं, बल्कि एक विचार और क्रांति का माध्यम भी है।" 🎨✨

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