"भारत में त्वचा के रंग और आकर्षण की धारणा: आज के समय में इसका क्या प्रभाव है?"
1. भारत में गोरे और काले रंग को लेकर सामाजिक सोच
भारत में सदियों से गोरी त्वचा को खूबसूरती का प्रतीक माना जाता रहा है। फिल्मों, विज्ञापनों और शादी-ब्याह के मामलों में गोरी त्वचा को प्राथमिकता दी जाती रही है। हालांकि, अब समय बदल रहा है, और लोगों की मानसिकता में भी बदलाव देखा जा रहा है।
2. आज के समय में इसका प्रभाव
👉 शादी और रिलेशनशिप में प्राथमिकता:
- आज भी 70-80% भारतीय शादियों में गोरी त्वचा को प्राथमिकता दी जाती है।
- लेकिन नई पीढ़ी अब स्किन टोन से ज्यादा व्यक्तित्व और आत्मनिर्भरता को अहमियत देने लगी है।
👉 बॉलीवुड और मनोरंजन उद्योग:
- पहले फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन ज्यादा लोकप्रिय होते थे, लेकिन अब ब्रांड्स "स्किन टोन डाइवर्सिटी" को बढ़ावा देने लगे हैं।
- बॉलीवुड में अब सांवले और डार्क स्किन टोन वाले कलाकारों को भी प्रमुख भूमिकाएँ मिलने लगी हैं।
👉 सोशल मीडिया और जागरूकता:
- इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर #MelaninBeauty और #BrownIsBeautiful जैसे मूवमेंट्स बढ़ रहे हैं।
- युवा पीढ़ी अब आत्मविश्वास और टैलेंट को खूबसूरती का असली पैमाना मानने लगी है।
👉 करियर और प्रोफेशनल लाइफ:
- कॉरपोरेट और स्टार्टअप कल्चर में किसी व्यक्ति की स्किन टोन से ज्यादा उनकी काबिलियत को तवज्जो दी जाती है।
- हालांकि, मॉडलिंग और फैशन इंडस्ट्री में अभी भी गोरी त्वचा को थोड़ा एडवांटेज मिलता है।
3. निष्कर्ष: क्या भारत में यह सोच पूरी तरह बदल रही है?
भारत में गोरे और काले रंग को लेकर अब भी पारंपरिक सोच बनी हुई है, लेकिन यह धीरे-धीरे बदल रही है।
नई पीढ़ी व्यक्तित्व, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को ज्यादा प्राथमिकता देने लगी है।
सोशल मीडिया और जागरूकता अभियानों के कारण लोग स्किन टोन की बजाय टैलेंट और आत्म-सम्मान को ज्यादा महत्व देने लगे हैं।
"आज के भारत में असली खूबसूरती त्वचा के रंग में नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और टैलेंट में है!"